Monday, April 6, 2015

क्रमश  :     भरगु भवन ,मंदिर एवं धर्मशाला , दिल्ली  :::::
                प्राण प्रतिष्ठा समारोह (20-12-2009)::::::::
                प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आज मंगलमय दिन है  : क्यों न हो भरगुवांशी इतिहाश में एक नया
अध्याय जोड़ा गया है ,अखिल भारतीय भरगुवांशी ब्राह्मण महासभा का दीपक प्रजल्वित हो गया था ,पंडितो ने
शास्त्रो के अनुसार विधि विधान से वेदिया इत्यादि को रंग बिरंगे फूलो से सजाकर  अछा रु दिया गया था : पंडाल में बेदी के रंग अलग ही छटा बाइकर रहे थे,सुहावना दृश्य बड़ा मनमोहक लग रहा था ,पूरा पंडाल  व् दर्सक दीर्घा आगंतुकों से खचाखच भरी हुई थी ,महिलाये अपनी नई नई पोशाकें पहनकर कलश सजा रही थी ,और सभी मूर्तियों के साथ सभी देवी देवताओ की सवारी निकले जाने की उत्सुकता में थी ,सुहाना मौसम आज के समारोह में नई छटा बिखेरने लगा था ,मंदिर के कपट प्रात  से ही खोल दिए गए थे: घंटा और घड़ियाल की आवाजे दूर २ तक जा रही थी ,मंदिर का वातावरण खुले आसमान में गूंज रहा था ,निम्न मुर्तिया जिनका आवरण किया जाना था ,उनको नए नए डिजाइनों के कपड़े  पहना कर अछा लुक दिया जा रहा था "।
१. शिव परिवार  २. राधाकिर्शन जी। . ::::३ राम दरबार   ४: देवी माँ  ५ :बजरंग बलि जी  ६ : शनि महाराज जी :::
           मंदिर का प्रांगण केवल  10x10 akar  का बनाया गया था ,जो मंदिर में राखी जाने वाली मूर्तियों से
बहुत छोटा था : इस बात को स्वयं कार्यकर्ता व् आगंतुक भी महसूस कर रहे थे मंदिर पर बनाई गई २१' की
गुमटी उस कुशल कारीगर व् कार्यकर्ताओ को धन्वाद दे रही थी ,जिन्होंने उसे सुन्दर रूप देकर,असली जामा  पहनाया ,परन्तु मंदिर की गुमटी कुछ उदासी महसूस कर रही थी,सायद  इसलिए की उस पर फूलो की माला
कम लगाई गई थी  गुमटी पर लगा (कलश) उसी छठा देखने को अलग ही बन रही थी ,कलश भी काफी लम्बा और वजनदार था,। गुमटी पर सीढ़ियों का न होना भी अच्छा नही लग रहा था ,सायद विधाता को ऐसा ही
मंजूर था। फूलो से सजा मेन गेट सभी कमिया पूरी कर रहा था।
व्यवस्था  :- प्राय  देखा जाता रहा है  की ऐसे कार्यक्रमों में लोग देर-सवेर से पहुँचते है ,जिससे कार्यक्रम शेडूल के
अनुसार हो पाना मुस्किल हो जाता है। जिसे चुनौती मानकर चला जाये  जाएं टोचा है ,कार्य का बटवारा कर
दिया जाये तो सोने पे सुहागा का काम करता है , कई जगह आलोचकों ,का विरोधियो का सामना करना होता है तो कहि ढुलमुल नीति विरोधाभास का कारण बन जाती है ,जो की किसी भी छोटे बड़े आयोजन में स्वाभाविक है :परिणामतः आगंतुक ही अच्छी या बुरी मिसाल कायम कर सकता है। व्यवस्था करने वाले लोग तो सब कुछ अछा ही करते है परन्तु आगंतुक उसे किस रूप में देखता है ,यह विषय  आगंतुकों पर छोड़ देना चाहिए, और कार्यकर्ताओ  आयोजको को अच्छा या बुरा सबक लेकर तसल्ली कर लेनी चाहिए।
भंडारा :- आज भंडारे का आयोजन श्री भल्ला फॅमिली द्वारा किया गया था, जोसमाज के श्री मनमोहन जी के मित्तर है। ,करीब ६०० भग्तो  के आने की उमीद लेकर भोजन की व्यवस्था की गई थी ,भोजन की कोई कमी
नही थी,कार सेवा   करने  वाले भी अपने २ कार्य को ठीक प्रकार अंजाम दे रहे थे ,आलू की सब्जी में सम्पूर्ण मसलो की बहार   देशी घी के हलवे में ड्राई फ्रूट्स का स्वाद अलग ही छटा बिखेर रहे थे।  ज्यादातर आगंतुक प्रसाद  ग्रहण करने के उपरांत जा चुके थे,कुछ कार्यकर्ताही बाकि बचे ठेठे जो आयोजन की अंतिम रूप रेखा में व्यस्त थे।  बुजुर्ग बताते है की ऐसे आयोजनो में देवी देवताओ का आगमन अवश्य होता है। नर या नारी के वेष  में कैसे किस समय आ जाये यह कहना मुस्किल है। 
अचानक तीन  देवियो का आना :- :::: भंडार  गृह  में बचा हुआ कुछ प्रसाद रखस हुआ था ,अचानक तीन देवियाँ भंडार गृह के सामने आई और प्रशाद ग्रहण करने की ईछा जताई,किसी कार्यकर्ता द्वारा मना किये जाने पर वे
प्रसाद ग्रहण करने को आतुर थी, एक दो कार्यकर्ता भंडार गृह के सामने पहुंचे ,देवियो को क्रोधित मुंद्रा में देखा ,दोनों कार्यकर्ताओ ने उन्हें नतमस्तक होकर प्रसाद देकर विदा किया। देवियाँ प्रसाद लेकर शांत मुद्रा में दिखाई दी और छन भर में गायब   हो  गई।
उपसंघहार:- मेरी  अविकसित कल्पनाओ से विकसित होगा ,भरगुवंशी समाज,आज नही तो कल,महकेगा यह उपवन क्योकि अभी जुड़ने लगे है दिल के तार  उन पगडंडियों से जो कभी ऊबड़खाबड़ थी ,जो आज उपवन देख कर लहराने लगी है ,गाने लगी है ,गुनगुनाने लगी है उस"पीर "को जिसने समाज को (भरगुवंशियो) को इस मुकाम पर पहुँचाने का काम किया। .
                                                              जय "महऋषि  भर्गु जी  की , भरगुवंश  जिंदाबाद ::::::
                                                                   
                                                                        B.S.Sharma )
                                                               Sanyojak & Foundermember
                                                   Akhil Bhartiya bharguvanshi Brahman Mahasabha'
                                                                                      DELHI.