:10: 7th, July; 2014 ;
Delhi::::::::::
:B.S.Sharma .......
(Rachnakar )
"आशा"
छोड़ दे सब साथ तब वो साथ देती तो है
करें ना कोई बात तब वो बात करती तो है ;
मुसीबत के हर कदम पर वो है सभी के साथ ;
, परिणाम चाहे जो भी हो हौशला बढ़ाती तो है ;
चाहे मरुस्थल हो,और हो चिलचिलाती धूप '
आहट में उसके ठण्डी हवा के झोको की याद आती तो है ;
रात का अँधेरा हो और हो सामने गुर्राता हुआ शेर ;
जीने की चाह में वो दो दो हाथ कराती तो है ;
गमो के शाये में ना हथियार उससे बढ़कर कोई ;
किसी नास्तिक को मन्दिर की राह दिखलाती तो है ,
हो इस कदर बन्दा पुकारता कोई अन्तिम साँस हो ;
केवल साँस की आश में , जीने की आश सताती तो है ';
कोई यकीं करे न करें ,लेकिन यकीं है मुझको;
ऐ :गौड़ " इक आशा ही तो है जो रोते को हसाती तो है। ::::::::::::
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Delhi::::::::::
:B.S.Sharma .......
(Rachnakar )
"आशा"
छोड़ दे सब साथ तब वो साथ देती तो है
करें ना कोई बात तब वो बात करती तो है ;
मुसीबत के हर कदम पर वो है सभी के साथ ;
, परिणाम चाहे जो भी हो हौशला बढ़ाती तो है ;
चाहे मरुस्थल हो,और हो चिलचिलाती धूप '
आहट में उसके ठण्डी हवा के झोको की याद आती तो है ;
रात का अँधेरा हो और हो सामने गुर्राता हुआ शेर ;
जीने की चाह में वो दो दो हाथ कराती तो है ;
गमो के शाये में ना हथियार उससे बढ़कर कोई ;
किसी नास्तिक को मन्दिर की राह दिखलाती तो है ,
हो इस कदर बन्दा पुकारता कोई अन्तिम साँस हो ;
केवल साँस की आश में , जीने की आश सताती तो है ';
कोई यकीं करे न करें ,लेकिन यकीं है मुझको;
ऐ :गौड़ " इक आशा ही तो है जो रोते को हसाती तो है। ::::::::::::
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