44.. 14th .June, 2014...
Delhi ....
B.S.Sharma ::
(Rachnakar )..
" मै और तुम "
"मैं " और "तुम " ज़िन्दगी के दो पहलू है ,
जिसमें ज़िंदगी का यथार्थ छिपा है,
"मैं " में लाख बुराई देखीं ,
"तुम" में वो सब जो "मैं " में नहीं ,
बहुत कोशिश की तुम बनने की ,
मगर नहीं बन सका ,
ज़िंदगी का हर अच्छा पहलु तुम में छिपा है ,
यदि अन्तर्मन से झांक कर देखे।
इसलिए "मै " तुम बनना चाहता हू ,
दुनिया में कुछ हासिल करना चाहते हो तो ,
तुम बनो ,
मैं नहीं ,
फिर देखिये ,
जीने का मजा कुछ और ही होगा ,::::::
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Delhi ....
B.S.Sharma ::
(Rachnakar )..
" मै और तुम "
"मैं " और "तुम " ज़िन्दगी के दो पहलू है ,
जिसमें ज़िंदगी का यथार्थ छिपा है,
"मैं " में लाख बुराई देखीं ,
"तुम" में वो सब जो "मैं " में नहीं ,
बहुत कोशिश की तुम बनने की ,
मगर नहीं बन सका ,
ज़िंदगी का हर अच्छा पहलु तुम में छिपा है ,
यदि अन्तर्मन से झांक कर देखे।
इसलिए "मै " तुम बनना चाहता हू ,
दुनिया में कुछ हासिल करना चाहते हो तो ,
तुम बनो ,
मैं नहीं ,
फिर देखिये ,
जीने का मजा कुछ और ही होगा ,::::::
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