30. 12th, June, 2014......
Delhi ......
B.S.Sharma,.....
(Rachnakar )....
"बादल की एक बून्द "
बादल की एक बून्द जा फसीं बीच समुन्दर में,
किवें बाजे नही राह सूझती घण्टी मंदिर में ,
बीच फसी मजधार बून्द वो किसको हाल बतावै ,
दो चार समुन्दर गरज गरज कै अपनी अपनी गावै ,
नई नई रीत चलावै लगा कै आग समुन्दर मै ,
किवें बाजे नही राह ::::::::::::
एक एक बून्द तै बनती नदियाँ ,नदियो तै बनै समुन्दर,
समझै कोई अस्तित्व बून्द का तो घंटी बज जा मंदिर,
एक एक बून्द तै उठती देखी झाल समुन्दर मै ,
किवे बजे नही :::::::::::::
सुन्दर मोती पल भर में भई एक बून्द तै बन ज्यां ,
पड़े बून्द न धरती पै तो त्राहि त्राहि मच ज्यां ,
मिलकै बुझाती बून्द लगै जब आग समुन्दर मै ,
बादल की एक बून्द ::::::::::::::::
दिल दरिया के कई समुन्दर लक्षण न्यारे न्यारे ,
कोई बनावै लाल क़िला कोई लाल क़िले ने ढारै ,
काले बादल बन के सारे गरजै मंदिर में
बादल की बून्द ,::::::::::::
बोल मेरे फरियाद बून्द की जावे समुन्दर पार,
गौड़ " हुआ बेचैन बनालो कोई रस्ता मिलकै यार ,
कर दो ये उपकार बजा दो घंटी मंदिर में ,
बदल की एक बून्द :::::::::::::::::::::
Delhi ......
B.S.Sharma,.....
(Rachnakar )....
"बादल की एक बून्द "
बादल की एक बून्द जा फसीं बीच समुन्दर में,
किवें बाजे नही राह सूझती घण्टी मंदिर में ,
बीच फसी मजधार बून्द वो किसको हाल बतावै ,
दो चार समुन्दर गरज गरज कै अपनी अपनी गावै ,
नई नई रीत चलावै लगा कै आग समुन्दर मै ,
किवें बाजे नही राह ::::::::::::
एक एक बून्द तै बनती नदियाँ ,नदियो तै बनै समुन्दर,
समझै कोई अस्तित्व बून्द का तो घंटी बज जा मंदिर,
एक एक बून्द तै उठती देखी झाल समुन्दर मै ,
किवे बजे नही :::::::::::::
सुन्दर मोती पल भर में भई एक बून्द तै बन ज्यां ,
पड़े बून्द न धरती पै तो त्राहि त्राहि मच ज्यां ,
मिलकै बुझाती बून्द लगै जब आग समुन्दर मै ,
बादल की एक बून्द ::::::::::::::::
दिल दरिया के कई समुन्दर लक्षण न्यारे न्यारे ,
कोई बनावै लाल क़िला कोई लाल क़िले ने ढारै ,
काले बादल बन के सारे गरजै मंदिर में
बादल की बून्द ,::::::::::::
बोल मेरे फरियाद बून्द की जावे समुन्दर पार,
गौड़ " हुआ बेचैन बनालो कोई रस्ता मिलकै यार ,
कर दो ये उपकार बजा दो घंटी मंदिर में ,
बदल की एक बून्द :::::::::::::::::::::
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