45.. 14th June,2014...
Delhi.....
B.S.Sharma....
(Rachnakar ) ....
" मुस्कराहट के फूल "
बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ
दिल अपने की बाते सारी तुझ से कहू ,
तुही मेरी ज़िंदगी का सोहना पड़ाव है ,
मेरे सपनो की ज़िंदगी का तू ही लगाव है ,
मुस्कराहट के फूल तेरे में गिनता ही रहूँ
दिल अपने की बाते ::::::::::::::::
क्या सूरज की रोशनी क्या चाँद की छटा ,
क्या रात का अँधियारा है क्या बादल की घटा ,
क्या तारो की सुंदर नगरी जो मैं देखता रहू ,
दिल अपने की बाते ::::::::::::
क्या सत्यवान की सावित्री और क्या मजनूँ की लैला ,
तेरे सामने कोई टिक ना पावे ऐसी है तू छैला ,
क्या इन्दर की इन्द्राणी जो मै तुझ से कहू ,
दिल अपने की बाते :::::::::::
शुरा और सुन्दरी क्या जो तुझ में नहीं ,
हर साँस में तेरी खुसबू देखी जो मुझ में नहीं ,
महक नही कोई तुझ से बढ़कर जो में सूंघता रहूँ ,
दिल अपने की बाते :::::::::::::::::::
कमीं रही ना किसी बात की है जब से तुझको पाया,
धन ,वैभव ,और सभी सम्पदा है तू ही मेरी माया ,
जन्म ,जन्म ,का बंधन तुझसे ,तुझे मै खोजता रहूँ ,
दिल अपने की बाते ::::::::::::::::::::
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Delhi.....
B.S.Sharma....
(Rachnakar ) ....
" मुस्कराहट के फूल "
बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ
दिल अपने की बाते सारी तुझ से कहू ,
तुही मेरी ज़िंदगी का सोहना पड़ाव है ,
मेरे सपनो की ज़िंदगी का तू ही लगाव है ,
मुस्कराहट के फूल तेरे में गिनता ही रहूँ
दिल अपने की बाते ::::::::::::::::
क्या सूरज की रोशनी क्या चाँद की छटा ,
क्या रात का अँधियारा है क्या बादल की घटा ,
क्या तारो की सुंदर नगरी जो मैं देखता रहू ,
दिल अपने की बाते ::::::::::::
क्या सत्यवान की सावित्री और क्या मजनूँ की लैला ,
तेरे सामने कोई टिक ना पावे ऐसी है तू छैला ,
क्या इन्दर की इन्द्राणी जो मै तुझ से कहू ,
दिल अपने की बाते :::::::::::
शुरा और सुन्दरी क्या जो तुझ में नहीं ,
हर साँस में तेरी खुसबू देखी जो मुझ में नहीं ,
महक नही कोई तुझ से बढ़कर जो में सूंघता रहूँ ,
दिल अपने की बाते :::::::::::::::::::
कमीं रही ना किसी बात की है जब से तुझको पाया,
धन ,वैभव ,और सभी सम्पदा है तू ही मेरी माया ,
जन्म ,जन्म ,का बंधन तुझसे ,तुझे मै खोजता रहूँ ,
दिल अपने की बाते ::::::::::::::::::::
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