:11: 7th July..2014 ;...
Delhi:::::::
B.s.sharma..........
"आशा :"
अजब तेरी कारीगरी रे ';
"करतार"
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तूफां और मौशम नदी और नाले ;
हर संकट को गले लगा ले ;
पल में करती मौज बहार ;
अजब तेरी :::::::::::::::
मिटटी का ये सोना बनाती ;
उजड़ो की है आशा हिमाती ;
नही करती कभी उधार ;
अजब तेरी कारीगरी :::::::::
तेवर इसके अजब निराले ;
हर संकट को काट ये डालें ';
करती छन भर में उपचार ;:::::::
इसके दम पर हार जीत है ;
चलती इससे प्यार प्रीत है ;
सभी इसके है श्रृंगार :::::::::::::::
झूट और सत्य तो खम्ब है इसके
जन्म मरण भी दम्भ है इसके ;
नही माने कभी ये हार ::::::::::
रोम रोम में रमी हुई है ;
दिल के द्वार पे जमी हुई है ;
"गौड़ : की सुनती सभी पुकार ;
अजब तेरी कारीगरी :::::::::::::::::
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