-19- 8th June..2014....
Delhi.........
B.S.Sharma......
(Rachnakar)
" कुर्सी "
मेरे देश , समाज, में ये हलचल ऐ तमाशा क्यों है
यहाँ हर सख्स कुर्सी का प्यासा क्यों है ,
पहली बार जब कुर्सी से पूछा , माजरा क्या है ,
कहने लगी मुझे अपना बनाओ,
पूछना पाने के बाद।
कुछ दिनों तक उससे मेरी ,
कसमकस चलती रही ,
दूरियां बढ़ने लगी ,उसको फिर
पाने के बाद। ..........
मै मुकदर का सिकंदर आगे ही बढ़ता रहा ,
रुक गए कुछ कदम मेरे ,
मंजिल को पाने के बाद।
चाहता था कुछ बढ़कर आगे उँची सी छलांग लगाऊ ,
दीवारे इर्षा बन चुकी इतना कुछ करने के बाद ,
कुर्सी क्या वो इर्षा थी दुश्मन जमाना हो गया ,
बह चला गम का समुन्द्र सुर्खियों में आने के बाद ,
दरया गमों की बह चली की इन्सान की परवाह नहीं ,
बदलेंगे तेरे "गौड़ " नशीब गमों को ठिकाने लगाने के बाद। ..........
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