-२४- 9th , June,2014.......
Delhi...........
B.S.Sharma.......
(Rachnakar)
" कविता "
कविता है एक जो सताती है उनको ,
शौहरत उन्हीं की बताती है उनको ,
बल्ब दिलो के उसने जलाएं ,
जख्म मिले जो भर नही पाये ,
बार बार याद आये मीठे बोल उनको ,
शोहरत उन्ही ::::::::::::
कविता ही उनकी बताती कहानी ,
ढूंढ सको तो ढूंढो खा छिपी रानी,
बेजान , बेहाल, बनती जो उनको ,
शोहरत उन्ही :::::::::::
खपा वो बड़े ही उससे है लगते ,
आँखों हर घड़ी जो उनके बसते ,
लग गया रोग कुछ भाता नही उनको ,
शोहरत उन्ही :::::::::::
चेहरे का हाल देखो लगते दीवाने ,
बदल गया रूप रंग सब कोई मानें ,
कोई जाने या ना जाने मगर पता सब उनको ,
शोहरत उन्ही की :::::::::
ज़िन्दे तो है लेकिन बेजान राही ,
दिल की कली जो देखो है मुरझाई ,
समझ में जब बात आई तो लगी चोट उनको ::::
शोहरत उन्ही की :::::::::::::::::
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