-31- 13th , June, 2014.....
Delhi......
B.S.Sharma.....
(Rachnakar )...
" कलम"
कलम कवि की सच्चा साथी,
कलम कवि की जान है ,
जितना इसे चलाओ उतनी ,
बनती ये पहचान है,
कलम कवि से और कवि कलम से,
रिस्ता अजीब ये बतलाया ,
रवि जहां कहीं पहुंच सका ना ,
कवि वहां पर है पाया ,
कहीं धूप और कहीं पे छाया ,
कलम कवि की शान है ::::::::
बात जबां से जो ना निकल सके ,
कलम धीमें से बताती है ,
ज़िंदगी के हर मोङ के पहलु ,
नित नए ढूंढ कर लाती है।
राह ज़ीने की भी सिखाती है ,
जो भटका पथिक नादान है।
उल्टा -पुल्टा सब कुछ करती,
जब ये अपने तेवर बदलती,
कहीं किसी की धोंस ना चलती ,
खुद ब खुद है चाल बदलती ,
भेद खोलती सबके दिल के ,
इतनी ये शैतान है। :::::::
नही कोई दुश्मनं नही कोई प्यारा,
लिखती सच्चा हाल ये सारा ,
ज़िंदगी का भी बनती किनारा ,
बिगड़े हुओं को इसने सुधारा ,
निडर लेखनी होती जिनकी,
उसे कहता कवि महान है। ::::::::::::::::
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Delhi......
B.S.Sharma.....
(Rachnakar )...
" कलम"
कलम कवि की सच्चा साथी,
कलम कवि की जान है ,
जितना इसे चलाओ उतनी ,
बनती ये पहचान है,
कलम कवि से और कवि कलम से,
रिस्ता अजीब ये बतलाया ,
रवि जहां कहीं पहुंच सका ना ,
कवि वहां पर है पाया ,
कहीं धूप और कहीं पे छाया ,
कलम कवि की शान है ::::::::
बात जबां से जो ना निकल सके ,
कलम धीमें से बताती है ,
ज़िंदगी के हर मोङ के पहलु ,
नित नए ढूंढ कर लाती है।
राह ज़ीने की भी सिखाती है ,
जो भटका पथिक नादान है।
उल्टा -पुल्टा सब कुछ करती,
जब ये अपने तेवर बदलती,
कहीं किसी की धोंस ना चलती ,
खुद ब खुद है चाल बदलती ,
भेद खोलती सबके दिल के ,
इतनी ये शैतान है। :::::::
नही कोई दुश्मनं नही कोई प्यारा,
लिखती सच्चा हाल ये सारा ,
ज़िंदगी का भी बनती किनारा ,
बिगड़े हुओं को इसने सुधारा ,
निडर लेखनी होती जिनकी,
उसे कहता कवि महान है। ::::::::::::::::
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