..42.. 14th..June, 2014..
Delhi.....
B.S.Sharma...
(Rachnakar )...
" गुनाहों की राहे "
गुनाह ज़िन्दगी में करते भी है ,
करते भी है लोग ,डरते भी है लोग ,
दुनियां में जीना है तो समझना पड़ेगा ,
काँटों की राहों से भी गुजरना पड़ेगा ,
संभलते भी है, और बिखरते भी है ,
करते भी है लोग डरते भी है लोग ::::::::
दुनियां की नगरी है ये जादूभरी,हाय जादूभरी
घाटे में रहते ,करते जो बाते खरी ,हाय बातें खरी ,
फिजाओं की धड़कन पे मचलते भी है ,
करते भी है लोग डरते भी है ,:::::::::::::
गुनाह की डगर तो है आसान इतनी ,
ओस सुबह की खिलती है जितनी,
सवरते भी है और बिगड़ते भी है लोग,
करते भी है लोग डरते भी :::::::::::::
जोखिम भरा है सच्ची राहों का काम ,
पीने को गम मिलते सुबह और शाम ,
आंशु पीते भी है , कुछ, पीकर मरते भी है लोग ,
करते भी है और डरते भी है लोग ,::::::::::
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Delhi.....
B.S.Sharma...
(Rachnakar )...
" गुनाहों की राहे "
गुनाह ज़िन्दगी में करते भी है ,
करते भी है लोग ,डरते भी है लोग ,
दुनियां में जीना है तो समझना पड़ेगा ,
काँटों की राहों से भी गुजरना पड़ेगा ,
संभलते भी है, और बिखरते भी है ,
करते भी है लोग डरते भी है लोग ::::::::
दुनियां की नगरी है ये जादूभरी,हाय जादूभरी
घाटे में रहते ,करते जो बाते खरी ,हाय बातें खरी ,
फिजाओं की धड़कन पे मचलते भी है ,
करते भी है लोग डरते भी है ,:::::::::::::
गुनाह की डगर तो है आसान इतनी ,
ओस सुबह की खिलती है जितनी,
सवरते भी है और बिगड़ते भी है लोग,
करते भी है लोग डरते भी :::::::::::::
जोखिम भरा है सच्ची राहों का काम ,
पीने को गम मिलते सुबह और शाम ,
आंशु पीते भी है , कुछ, पीकर मरते भी है लोग ,
करते भी है और डरते भी है लोग ,::::::::::
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