"2"
" " सहनशीलता "
6th June,2014: Delhi;
B.S.Sharma,.
सहनशीलता मेरा सरणस्थल है ,
और शक्तिशाली गढ़ भी ;
वह संकट के समय मेरे साथ रहती है ,
इस कारण मुझे कोई भय नहीं ;
न मुझे तलवार का ड़र है ना मुझे सीने में
लगने वाली गोली का ;
जो मेरे संगी साथी, मेरे आलोचक ;
मार देते है।
मगर मै टश से मश नही होता ;
उनकी हर चोट को , उनके दिए हुए अपमान को ,
प्यार से गले लगा लेता हूँ और
सदैव हषता रहता हू , क्योंकि ,
मै जानता हु की ये आँधिया ये तूफान ,
छन -भर के है ,फिर इन तुफानो से सभी को गुजरना है
जिनका कोई अस्तित्व नही ,
मै अपनी सच्ची रहो पर चलने का आदि हो गया हुँ ;
इस कारण मुझे कोई भय नही;
चाहे पृथ्वी उल्ट-पुल्ट हो जाएं ,
चाहे समुन्दर गरजे और उसमें तूफान आयें ,
चाहे पहाड़ आग के शोले उगलें ,
चाहे चट्टान अपनी जगह से खिसक जाये ,
मुझ में शहनशीलता की वो शक्ति है ;
जो इन सभी तुफानो का अन्त है। . .............................
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" " सहनशीलता "
6th June,2014: Delhi;
B.S.Sharma,.
सहनशीलता मेरा सरणस्थल है ,
और शक्तिशाली गढ़ भी ;
वह संकट के समय मेरे साथ रहती है ,
इस कारण मुझे कोई भय नहीं ;
न मुझे तलवार का ड़र है ना मुझे सीने में
लगने वाली गोली का ;
जो मेरे संगी साथी, मेरे आलोचक ;
मार देते है।
मगर मै टश से मश नही होता ;
उनकी हर चोट को , उनके दिए हुए अपमान को ,
प्यार से गले लगा लेता हूँ और
सदैव हषता रहता हू , क्योंकि ,
मै जानता हु की ये आँधिया ये तूफान ,
छन -भर के है ,फिर इन तुफानो से सभी को गुजरना है
जिनका कोई अस्तित्व नही ,
मै अपनी सच्ची रहो पर चलने का आदि हो गया हुँ ;
इस कारण मुझे कोई भय नही;
चाहे पृथ्वी उल्ट-पुल्ट हो जाएं ,
चाहे समुन्दर गरजे और उसमें तूफान आयें ,
चाहे पहाड़ आग के शोले उगलें ,
चाहे चट्टान अपनी जगह से खिसक जाये ,
मुझ में शहनशीलता की वो शक्ति है ;
जो इन सभी तुफानो का अन्त है। . .............................
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