( 1.)
' फूल ' 5th June,2014....Delhi.
B.S.Sharma....
(Rachnakar).......
ऐ ,फूल, तू धन्य है ,
तुझे,गुलदस्तों में सजाया जाता है ';
गम हो या खुशियां तुझे पहले बुलाया जाता है ;
खाली है तुझ बिन सेज दुल्हन की ;
हम से तो तू ही अच्छा ;
दुल्हन के गजरो में लगाया जाता है ;
अंधेरी कोठरी हो या जंगल बियाबान ;
महक से तेरी उनको भी महकाया जाता है ,
राजा हो या रंक;बनता सभी के गलों का हार ;
मुस्कराना तेरी फिदरत यौवन का नूर बनाया जाता है।
किसी प्रेमिका के गले में गर तू सजें ,
आशिक का इस कदर मजनूँ बनाया जाता है ,
महकता है जब तू किसी चमन की बहार बनके,
" गौड़ " किसी आशिक का दिल बहलाया जाता है। ...............
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VERY NICE POEM SIRJI.
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