46.. 14th June,2014....
Delhi........
B.S.Sharma....
(Rachnakar )....
"मिलावटी राज '"
कौन जाने इस हवा को क्या हो चला है ,
साँस ले तो अधमरे ,
न ले तो मरे ही मरे ,
हवा और हवा वालो का ,
साम्राज्य है ,
जिधर देखो ,मिलावट,और मिलावटी राज है ,
चमक न जाने कहा गई जुगनुओं की ,
मिलावट के डर से वे भी उड़ान नही भरते,
तारें जो आकाश में टिमटिमाते थे ,
ब्रहमांड की नगरी को सुंदर बनाते थे ,
वे भी मुरझा से गए है ,:::::
उस मिलावटी धुएं से जो धीरे धीरे एक,
परत बनता जा रहा है,
बना दिया विषैला उस अमृत को भी ,
जो हिमालय की गोद से;निकलता है ,
बच न पाई संगमरमर भरी ,
दूध जैसी चट्टानें भी ,
जो हमें जीवन देती है ,
गर बचा है ,मिलावटी राज से,
तो केवल "प्रलय " बचा है ,
हवा के झोंकों ने ,जो झोके छिपाकर ,
संग्रहित कर रखे हुए है ,
अंगड़ाई ,ली तो सब कुछ ,
स्वाह ही स्वाह है :::::::::::::::::
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