7th June, 2014, Delhi.
B.S.Sharma........
(Rachnakar)
" आशा "
क्या तारीफ करू मै आशा की ;
आशा ही मेरी ज़िन्दगी है ;
चाँद और सूरज चीज है क्या ;
आशा ही मेरी बन्दगी है ;
"अ " नाम है अल्लाह का कहते है ;
जिसके रूप अनेक;
: आ " से आलम पूजा करता ,
शब्द एक और भाव अनेक ;
क्या तारीफ़ :::::::::::::
"आ " नाम है आंचल का ;
आंचल ही सरोकार यहाँ ;
"आ " नाम का जहां उच्चारण ,
होता बेडा पार वहां ;
क्या तारीफ ::::::::::::
"आ :" का जोड़ा बना है "शा " से;
"शारदा " जिसको कहते है ;
हर उतस्व पर लोग सभी ;
" आ " और" " शा " की पूजा करते है .
क्या तारीफ :::::::::::::
:"आशा " से जो प्यार करे ,
भवसागर से तर जायेगा ;
दुःख हरती है "आशा " सबका ;
नाम अमर कर जायेगा ,…।
क्या तारीफ …।::::::::::::::::::
::::::::::::::::::::::::::::-. "
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