35.. 13th June,2014....
Delhi......
B.S.Sharma.....
(Rachnakar )..
" समाज़ सेवा "
समाज सेवा की दिलो में भावना पैदा करो ,
और ना ही बीच इसके स्वार्थ का सौदा करो ,
समाजसेवा में मिलाना स्वार्थ का अपमान है,
और स्वार्थ आदमी होने की भी पहचान है ,
समाज के हर व्यक्ति को चाहिए सब पर यकीं ,
है सच्चा सिपाही समाज का जो टूटे दिलो को जोड़ दे
बंदूक से गोली जो निकले उसका रास्ता हो मोड़ दे
लेकिन ये सम्भव है तभी जब प्यार ही हथियार हो ,
ले सबक दुनिया हमी से ना पक्षपात व्यवहार हो ,
मान और समान सब मुँह देख कर होता यहां ,
प्यार की एक बून्द भी ना ढूंढे से मिलती वहां ,
सिपाही काबिल है वहीं जो ऐसे जनो को मोड़ दे ,
व्यव्हार में काबिल बनाये माने फिर सारा जहां।
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Delhi......
B.S.Sharma.....
(Rachnakar )..
" समाज़ सेवा "
समाज सेवा की दिलो में भावना पैदा करो ,
और ना ही बीच इसके स्वार्थ का सौदा करो ,
समाजसेवा में मिलाना स्वार्थ का अपमान है,
और स्वार्थ आदमी होने की भी पहचान है ,
समाज के हर व्यक्ति को चाहिए सब पर यकीं ,
है सच्चा सिपाही समाज का जो टूटे दिलो को जोड़ दे
बंदूक से गोली जो निकले उसका रास्ता हो मोड़ दे
लेकिन ये सम्भव है तभी जब प्यार ही हथियार हो ,
ले सबक दुनिया हमी से ना पक्षपात व्यवहार हो ,
मान और समान सब मुँह देख कर होता यहां ,
प्यार की एक बून्द भी ना ढूंढे से मिलती वहां ,
सिपाही काबिल है वहीं जो ऐसे जनो को मोड़ दे ,
व्यव्हार में काबिल बनाये माने फिर सारा जहां।
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