-20- 8th June, 2014......
Delhi........
B.S.Sharma......
(Rachnakar )....
" गरीबी का अहसास "
ऐ , ठण्डी हवाओं जरा मुस्कराओ ,
अपनी अंगड़ाईयो से ऐसा मौसम बनाओं ; की
उनके "पसीनें " सूख जाएं ,और ,
वो मेरे पहलू में आएं ,
ठंडी हवा के झोको से ,अरमां ,
उनके मचलने लगते है ,
होठों से उनके "गीत " प्यार के ,
सुनने को मिलते है . ,
उनका कोमल बदन महकने लगता है ,
उनकी मदहोश आँखे ,मुझे ,
ढूंढने के लिए ,बेताब हो उठती है ,
चेहरा गुलाब सा मुस्कराने लगता है
क्योंकि ? वह इतनी कोमल है ,की ,
तुम्हारे जाने से बेहाल हो जाती है ,
मछली की तरह छटपटाती है ,और ,
ठंडी हवा के झोके लगते ही ,
मेरे पास आकर मेरे सीने से ,
चिपक जाती है।
तुम्हारी मदहोश आहट से ,उन्हें ,
चैन मिलता है , और ,उन्हें
ऐसा देखकर मेरे भी प्राण लोट आते है,
मुझे मेरी गरीबी का "अहसास "
नही हो पाता। ................
-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-
Delhi........
B.S.Sharma......
(Rachnakar )....
" गरीबी का अहसास "
ऐ , ठण्डी हवाओं जरा मुस्कराओ ,
अपनी अंगड़ाईयो से ऐसा मौसम बनाओं ; की
उनके "पसीनें " सूख जाएं ,और ,
वो मेरे पहलू में आएं ,
ठंडी हवा के झोको से ,अरमां ,
उनके मचलने लगते है ,
होठों से उनके "गीत " प्यार के ,
सुनने को मिलते है . ,
उनका कोमल बदन महकने लगता है ,
उनकी मदहोश आँखे ,मुझे ,
ढूंढने के लिए ,बेताब हो उठती है ,
चेहरा गुलाब सा मुस्कराने लगता है
क्योंकि ? वह इतनी कोमल है ,की ,
तुम्हारे जाने से बेहाल हो जाती है ,
मछली की तरह छटपटाती है ,और ,
ठंडी हवा के झोके लगते ही ,
मेरे पास आकर मेरे सीने से ,
चिपक जाती है।
तुम्हारी मदहोश आहट से ,उन्हें ,
चैन मिलता है , और ,उन्हें
ऐसा देखकर मेरे भी प्राण लोट आते है,
मुझे मेरी गरीबी का "अहसास "
नही हो पाता। ................
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