:9: 7th June, 2014 ;
Delhi ::::::::::
( B.S.Sharma.)
Rachnakar:::::::::
" आशा "
तारीफ़ करु ;
क्या मै आशा की ;
वो चीज बड़ी है मस्त मस्त ,
शुरा भी वो ,सुन्दरी भी वो;
वो चीज बड़ी है मस्त मस्त ;
जितनी भी तारीफ करू उतनी ही वो थोड़ी है ;
कठोर इरादे मन की सच्ची , चीज नही वो भगोड़ी है ;
संघर्ष करो वो पास आयेगी ,वो चीज बड़ी है मस्त मस्त '
तारीफ करु मै आशा ::::::::::::::::::::::::
टैंक और हथियार नही ये उसको मिटाये सकते है ;
साथ खड़ी हो आशा जिसके ,नही उसको डराए सकते है ;
मन के जीते जीत है आशा ; वो चीज बड़ी है मस्त ,मस्त;
तारीफ करू क्या ::::::::::::::::::::::
हाथ थाम ले आशा जिसका नही वो पीछे हटने वाला है ;
आगे बढ़ता ही जायेगा ना कभी वो रुकने वाला है ;
तीर साध लो आशा का वो चीज बड़ी है मस्त मस्त ;
है सभी भलाई आशा से आशा ही सबकी मूर्त है ;
आईने में जो नजर ना आएं आशा ही ऐसी सूरत है ;
हर सुखों की जननी आशा आशा है ;और दुःखो का नाम निराशा है
इसी लिए कहता हु वो चीज बड़ी है मस्त मस्त;
तारीफ़ करू क्या ::::::::::::::::::::::::::
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Delhi ::::::::::
( B.S.Sharma.)
Rachnakar:::::::::
" आशा "
तारीफ़ करु ;
क्या मै आशा की ;
वो चीज बड़ी है मस्त मस्त ,
शुरा भी वो ,सुन्दरी भी वो;
वो चीज बड़ी है मस्त मस्त ;
जितनी भी तारीफ करू उतनी ही वो थोड़ी है ;
कठोर इरादे मन की सच्ची , चीज नही वो भगोड़ी है ;
संघर्ष करो वो पास आयेगी ,वो चीज बड़ी है मस्त मस्त '
तारीफ करु मै आशा ::::::::::::::::::::::::
टैंक और हथियार नही ये उसको मिटाये सकते है ;
साथ खड़ी हो आशा जिसके ,नही उसको डराए सकते है ;
मन के जीते जीत है आशा ; वो चीज बड़ी है मस्त ,मस्त;
तारीफ करू क्या ::::::::::::::::::::::
हाथ थाम ले आशा जिसका नही वो पीछे हटने वाला है ;
आगे बढ़ता ही जायेगा ना कभी वो रुकने वाला है ;
तीर साध लो आशा का वो चीज बड़ी है मस्त मस्त ;
है सभी भलाई आशा से आशा ही सबकी मूर्त है ;
आईने में जो नजर ना आएं आशा ही ऐसी सूरत है ;
हर सुखों की जननी आशा आशा है ;और दुःखो का नाम निराशा है
इसी लिए कहता हु वो चीज बड़ी है मस्त मस्त;
तारीफ़ करू क्या ::::::::::::::::::::::::::
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