38.. 13th . June, 2014..
Delhi......
B.S.Sharma,
(Rachnakar )......
" :भृगु-जन "
ऐ , भृगु -जन ,है अभी अस्वस्थ तू ;
तेरे संकीर्ण विचारो की खातिर ;
समझ ना कोई ,माया तेरी ,
है तुझको जो अहितकर ,
भुला दे अपने अतीत को ,
उड़चल एक कबूतर बन कर
कोवे वाली चाल छोड़कर ,
छोड़ दे अलख जगाना घर घर,
चिलचिलाती धूप का कुछ ले मजा ,
कुछ काम कर खुद को दे सजा ,
फिर चल इतरा कर ,
सुन आवाज दिल के धड़कन की ;
क्या कहती है मत अनजान बन ,
जो सीखा है तूने बचपन में,
पाया जो तूने बिरासत में
छोड़ उसे, मत नादान बन,
शब्द मेरा एक है ,बैठकर विचार कर,
अतीत को कर दे अलग ,
मेरा एतबार कर,
जीना है तो शान शौकत से जिओ ,
जो घुटन दिल में घुटे निकाल कर बाहर कर ,
"गौड़ " तेरी बात का गर भर्गु - जन करे मनन,
नफरत की चिंगारी का होगा फिर एक दिन हनन
:::::::::::::::::::::::::::::::
Delhi......
B.S.Sharma,
(Rachnakar )......
" :भृगु-जन "
ऐ , भृगु -जन ,है अभी अस्वस्थ तू ;
तेरे संकीर्ण विचारो की खातिर ;
समझ ना कोई ,माया तेरी ,
है तुझको जो अहितकर ,
भुला दे अपने अतीत को ,
उड़चल एक कबूतर बन कर
कोवे वाली चाल छोड़कर ,
छोड़ दे अलख जगाना घर घर,
चिलचिलाती धूप का कुछ ले मजा ,
कुछ काम कर खुद को दे सजा ,
फिर चल इतरा कर ,
सुन आवाज दिल के धड़कन की ;
क्या कहती है मत अनजान बन ,
जो सीखा है तूने बचपन में,
पाया जो तूने बिरासत में
छोड़ उसे, मत नादान बन,
शब्द मेरा एक है ,बैठकर विचार कर,
अतीत को कर दे अलग ,
मेरा एतबार कर,
जीना है तो शान शौकत से जिओ ,
जो घुटन दिल में घुटे निकाल कर बाहर कर ,
"गौड़ " तेरी बात का गर भर्गु - जन करे मनन,
नफरत की चिंगारी का होगा फिर एक दिन हनन
:::::::::::::::::::::::::::::::
No comments:
Post a Comment