49.. 26th June,2014..
B.S.Sharma...
Delhi...
Rachnakar.....
" स्वार्थी पाप "
काम नहीं कोई कठिन है ,
गर होशला है आप में ,
होती नही ताकत बड़ी ,
गर स्वार्थ ना हो पाप में।
दुनिया की इस भीड़ में
खो गया है आदमी ,
अच्छा बुरा सब है यहीं ,
सब खोजते है आप में ,
हर कदम पर बोखलाहट ,
ना चैन , ना , आराम है ,
होता है क्यों मानव दुखी ,
जहां करोड़ों धाम है ,
देखता हूँ देखा भी है ,
फिर भी खामोश हूँ ,
लटके रहेंगे वो अधर ,
जहां स्वार्थी जाम है ,
सूरत नही उनकी भली,
जहां स्वार्थी पैगाम हो ,
बैठे डाल काटे उसी को,
क्या मजा विश्राम में ::::::::::::
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B.S.Sharma...
Delhi...
Rachnakar.....
" स्वार्थी पाप "
काम नहीं कोई कठिन है ,
गर होशला है आप में ,
होती नही ताकत बड़ी ,
गर स्वार्थ ना हो पाप में।
दुनिया की इस भीड़ में
खो गया है आदमी ,
अच्छा बुरा सब है यहीं ,
सब खोजते है आप में ,
हर कदम पर बोखलाहट ,
ना चैन , ना , आराम है ,
होता है क्यों मानव दुखी ,
जहां करोड़ों धाम है ,
देखता हूँ देखा भी है ,
फिर भी खामोश हूँ ,
लटके रहेंगे वो अधर ,
जहां स्वार्थी जाम है ,
सूरत नही उनकी भली,
जहां स्वार्थी पैगाम हो ,
बैठे डाल काटे उसी को,
क्या मजा विश्राम में ::::::::::::
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