:3: 6th June,2014.Delhi,
B.S.Sharma...
" शुभ-अशुभ "
कहूँगा मै तो स्वार्थी ;
ना रहूंगा चुप ;
जिसने जब भी नींव डाली
शुभ - अशुभ :महूर्त की :
मुझे नही मालूम की क्या शुभ -अशुभ ;
होता है ;
मै जानता हु इतना , मै मानता हु इतना ;
दिन और रात , धूप और है छाया ;
हवा और पानी ,सभी उसके हुक्म से चलते है ,
बनते है बिगड़ते है ,,
क्या नक्छत्र क्या दिशाएं ,क्या हवाएँ क्या फिजाएं ,
किसके बस में है ,कही कोई हे तो बताये ,
क्या मिट्टी में स्वाद होता है ,यदि नहीं तो ;
शुभ अशुभ क्या होता है।
अाढ़ लेकर पिछले जन्म की ,
बना रखे है गारह हथकंडे,
फ़साने के फंदे , जो दे उसका भला न दे उसका भला
बनाते है जो किस्मत को बुलन्द
कुछ चमत्कारी ;
दिखा देते है रंगीन नजारे कुछ चमत्कारी ;
मगर है कुछ नही ,केवल बातो का चमत्कार,
अगर कुछ होता चमत्कार,
गरीब रहता न कोई ,
दुनिया से मरता न कोई ,
जादूगर जादूगर न होता,
ब्राह्मण गरीब न होता
वयक्ति पूजा न करता,
शुभ कार्य ही अपने आप में शुभ होता है ;
क्योंकि एक बार सीधी लकीर खेंची हुई ;
टेढ़ी नही बनाई जा सकती ;
सीधी लकीर स्वयं अपने आप में शुभ होती है। . ..............................
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B.S.Sharma...
" शुभ-अशुभ "
कहूँगा मै तो स्वार्थी ;
ना रहूंगा चुप ;
जिसने जब भी नींव डाली
शुभ - अशुभ :महूर्त की :
मुझे नही मालूम की क्या शुभ -अशुभ ;
होता है ;
मै जानता हु इतना , मै मानता हु इतना ;
दिन और रात , धूप और है छाया ;
हवा और पानी ,सभी उसके हुक्म से चलते है ,
बनते है बिगड़ते है ,,
क्या नक्छत्र क्या दिशाएं ,क्या हवाएँ क्या फिजाएं ,
किसके बस में है ,कही कोई हे तो बताये ,
क्या मिट्टी में स्वाद होता है ,यदि नहीं तो ;
शुभ अशुभ क्या होता है।
अाढ़ लेकर पिछले जन्म की ,
बना रखे है गारह हथकंडे,
फ़साने के फंदे , जो दे उसका भला न दे उसका भला
बनाते है जो किस्मत को बुलन्द
कुछ चमत्कारी ;
दिखा देते है रंगीन नजारे कुछ चमत्कारी ;
मगर है कुछ नही ,केवल बातो का चमत्कार,
अगर कुछ होता चमत्कार,
गरीब रहता न कोई ,
दुनिया से मरता न कोई ,
जादूगर जादूगर न होता,
ब्राह्मण गरीब न होता
वयक्ति पूजा न करता,
शुभ कार्य ही अपने आप में शुभ होता है ;
क्योंकि एक बार सीधी लकीर खेंची हुई ;
टेढ़ी नही बनाई जा सकती ;
सीधी लकीर स्वयं अपने आप में शुभ होती है। . ..............................
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