-23- 8th, June..2014...
Delhi'......
B.S.Sharma......
(Rachnakar)
" भविष्वाणिया "
आई प्रलय , आई ,
ज्योतषियो की भविष्वाणिया ,
कुछ तो ठीक हो पाई ,
नव गृह आएं ,समान्तर लेन में आये,
और अपने रंग दिखाएं ,
प्रलय जो होनी थी ,
भविष्वाणियो को न जाने कहा निगल गईं ,
बचा है तो केवल स्वरूप ,
उन भविष्वाणियो का जो ,ज्योत्षी लोग करते है ,
करते आये है , करते रहेंगे ,
अच्छे अच्छे राजनितिज्ञ ,उनके इशारों पर चलते है,
कहीं भी कोई उद्घाटन हों ,
यात्रा हो ,मुहूर्त हो, विवाह शादी हो ,
सब ज्योत्षी के हुक्म से किया जाता है ,
इसलिए की कोई अनहोनी न हो ,
क्योंकि ?
कहते है ज्योत्षी : होनी की अनहोनी और ,
अनहोनी की होनी बनाने में मदद कर सकते है ,
बस जनतां को ( जिजमान) को तो केवल ,
दान-दक्षिणा देनी होती है और,
जप आदि कराने होते है
क्या कोई बता पाएगा भूत ,भविष्य वर्तमान का हाल ,
यहीं तो ज्योतषियों का है क़माल ,
ये ही तो ज्योत्षियो की कमाई है ,
वरना तो सरकार ने इनके लियें ,
कौन से आजिविका केन्द्र बना रखें है ,
ना ही इनके लिए किसी सरकारी नौकरी में रिज़र्व सीट है ,
और ना ही कोई, बिज़नेस का कोटा ,
यहीं तो इनका बिज़नेस ,ये ही इनकी सरकारी नौकरी ,
जनता इनकी भविष्वाणिया अखबारों में पढती है ,
भूत ,भविष्य वर्तमान का हाल अखबारों में छपता है,
अख़बार के विक्रय कोटे में वृद्धि होती है ,
क्यों न हो ?
भारतीय जनता इनकी भविष्वाणिया सुनने के लिए
बेचैन ,व आतुर रहती है ,
ज्योतिषियों के पास अपना भविष्य देखने का ,
समय ही नही बच पाता , यह ईश्वर की देन है। :::::::::::::::::::
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Delhi'......
B.S.Sharma......
(Rachnakar)
" भविष्वाणिया "
आई प्रलय , आई ,
ज्योतषियो की भविष्वाणिया ,
कुछ तो ठीक हो पाई ,
नव गृह आएं ,समान्तर लेन में आये,
और अपने रंग दिखाएं ,
प्रलय जो होनी थी ,
भविष्वाणियो को न जाने कहा निगल गईं ,
बचा है तो केवल स्वरूप ,
उन भविष्वाणियो का जो ,ज्योत्षी लोग करते है ,
करते आये है , करते रहेंगे ,
अच्छे अच्छे राजनितिज्ञ ,उनके इशारों पर चलते है,
कहीं भी कोई उद्घाटन हों ,
यात्रा हो ,मुहूर्त हो, विवाह शादी हो ,
सब ज्योत्षी के हुक्म से किया जाता है ,
इसलिए की कोई अनहोनी न हो ,
क्योंकि ?
कहते है ज्योत्षी : होनी की अनहोनी और ,
अनहोनी की होनी बनाने में मदद कर सकते है ,
बस जनतां को ( जिजमान) को तो केवल ,
दान-दक्षिणा देनी होती है और,
जप आदि कराने होते है
क्या कोई बता पाएगा भूत ,भविष्य वर्तमान का हाल ,
यहीं तो ज्योतषियों का है क़माल ,
ये ही तो ज्योत्षियो की कमाई है ,
वरना तो सरकार ने इनके लियें ,
कौन से आजिविका केन्द्र बना रखें है ,
ना ही इनके लिए किसी सरकारी नौकरी में रिज़र्व सीट है ,
और ना ही कोई, बिज़नेस का कोटा ,
यहीं तो इनका बिज़नेस ,ये ही इनकी सरकारी नौकरी ,
जनता इनकी भविष्वाणिया अखबारों में पढती है ,
भूत ,भविष्य वर्तमान का हाल अखबारों में छपता है,
अख़बार के विक्रय कोटे में वृद्धि होती है ,
क्यों न हो ?
भारतीय जनता इनकी भविष्वाणिया सुनने के लिए
बेचैन ,व आतुर रहती है ,
ज्योतिषियों के पास अपना भविष्य देखने का ,
समय ही नही बच पाता , यह ईश्वर की देन है। :::::::::::::::::::
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