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7th July; 2014 ::::
Delhi:::::::::
B.S.Sharma:::::
(Rachnakar )
"आशा"
आशा की कहानी सुनो मेरी ज़बानी ;
नर कहो या नारी है उसी की महरवानी ;
आग और शोलों में डाला गया ;
निराशा को रुतबे से पाला गया ;
दुश्मन निराशा रंग दिखाने लगी ;
हर गमो की महफ़िल थी सजाने लगी ;
"आशा: ने जब खाया पलटा ;
धूल " निराशा को थी वो चटाने लगी ;
निराशा भी बड़ी खूँखार थी;
आशा को फिर वो गुर्राने लगी ;
कठोर इरादा थी जो आशा ;
हिम्मत का सब खेल तमाशा ;
संघर्ष किया ,निराशा टिक न पाई ;
हर अन्त के बाद" आशा" ही काम आई ;
"गौड़ " उखाड़ फैक दो निराशा के बोझ को;
गले लग जाओ आशा के,गले लगा लो आशा को ;
सब सुखो की इससे आवाज़ आई। :::::::::::::::
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7th July; 2014 ::::
Delhi:::::::::
B.S.Sharma:::::
(Rachnakar )
"आशा"
आशा की कहानी सुनो मेरी ज़बानी ;
नर कहो या नारी है उसी की महरवानी ;
आग और शोलों में डाला गया ;
निराशा को रुतबे से पाला गया ;
दुश्मन निराशा रंग दिखाने लगी ;
हर गमो की महफ़िल थी सजाने लगी ;
"आशा: ने जब खाया पलटा ;
धूल " निराशा को थी वो चटाने लगी ;
निराशा भी बड़ी खूँखार थी;
आशा को फिर वो गुर्राने लगी ;
कठोर इरादा थी जो आशा ;
हिम्मत का सब खेल तमाशा ;
संघर्ष किया ,निराशा टिक न पाई ;
हर अन्त के बाद" आशा" ही काम आई ;
"गौड़ " उखाड़ फैक दो निराशा के बोझ को;
गले लग जाओ आशा के,गले लगा लो आशा को ;
सब सुखो की इससे आवाज़ आई। :::::::::::::::
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