-21- 8th, June , 2014 ...
Delhi..........
B.S.Sharma......
(Rachnakar ).......
" रश्मों की दीवारें "
रश्मों की बरसात होने लगी ,बंधन न जाने कहा छिप गए,
लकीरे बहुत सी खींची है मगर,अमल करने वाले कहाँ छिप गए।
रस्म ही अदाएं ,रस्म ही फ़िदाए ,
रस्मों ने गुलशन को काबू किया ,
रस्मों की महफ़िल में उठते जनाज़े ,
है कैसी ये रस्मे जाये कैसे जिया ,
रस्मो की उँची दीवारें बनी,
तोङे जो इनको कहाँ छिप गए ,
लकीरें बहुत सी :::::::::::::::
बिलखती है नदियां बिलखते किनारें ,
नहीं ठोश नीति फीके बंधन है सारे ,
हवाओं का रुख भी बदल सा गया है ,
अन्धेरा दिलो में जो छा गया है ,
मिटा दे अँधेरा वो जाने कहां छिप गए है,
लकीरें बहुत सी। … . …।
दुनियाँ की रस्में अजब है निराली ,
जलती चिताएं दिन जाये ना ख़ाली ,
रास्ता न सूझे कोई बेचैन माली ,
दिलो के झरोखे हो रहे खाली ,
रास्ता दिखाएं जन वो कहाँ छुप गए। ।
लकीरे बहुत सी। :::::::::::::
""::::::::::::::::::::::::::::::::.
Delhi..........
B.S.Sharma......
(Rachnakar ).......
" रश्मों की दीवारें "
रश्मों की बरसात होने लगी ,बंधन न जाने कहा छिप गए,
लकीरे बहुत सी खींची है मगर,अमल करने वाले कहाँ छिप गए।
रस्म ही अदाएं ,रस्म ही फ़िदाए ,
रस्मों ने गुलशन को काबू किया ,
रस्मों की महफ़िल में उठते जनाज़े ,
है कैसी ये रस्मे जाये कैसे जिया ,
रस्मो की उँची दीवारें बनी,
तोङे जो इनको कहाँ छिप गए ,
लकीरें बहुत सी :::::::::::::::
बिलखती है नदियां बिलखते किनारें ,
नहीं ठोश नीति फीके बंधन है सारे ,
हवाओं का रुख भी बदल सा गया है ,
अन्धेरा दिलो में जो छा गया है ,
मिटा दे अँधेरा वो जाने कहां छिप गए है,
लकीरें बहुत सी। … . …।
दुनियाँ की रस्में अजब है निराली ,
जलती चिताएं दिन जाये ना ख़ाली ,
रास्ता न सूझे कोई बेचैन माली ,
दिलो के झरोखे हो रहे खाली ,
रास्ता दिखाएं जन वो कहाँ छुप गए। ।
लकीरे बहुत सी। :::::::::::::
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Samaj me rudhiwadi rsmo ko todna hoga , jiske liye YOUNG GENERATION ko aage aana hi hoga.....
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